शनिवार, 11 सितंबर 2010

'यमराज' से जंग


सैलाब की शक्ल में आए
यमराज

इस बार निशाना बने
बच्चे

बच्चों पर दया भी नहीं
आई

बच्चों को लहरों में
लपेट लिया

दो बच्चों की जान
पर बन आई

फिर शुरू हुई
मौत से जंग

लहरों में फंसे बच्चे


मौत की लहरों के बीच फंसे हैं ये बच्चे ... चारों तरफ पानी ही पानी है और लहरों में मौत दौड़ रही है ... मौत से बस थोड़ी ही दूर हैं दोनों बच्चे ... ये खौफनाक तस्वीरें मध्यप्रदेश के झाबुआ के अनास नदी की हैं ... गुरुवार सुबह 5 बच्चे इस नदी में नहाने आए थे ... अचानक नदी का जलस्तर बढ़ने लगा ... लहरें तेज होने लगीं... बच्चों के बीच खलबली मच गई ... 3 बच्चों ने भाग कर जान बचा ली ... लेकिन 2 बच्चे बीच मंझधार में फंस गए ... ये दोनों बच्चे भी जान बचाने के लिए इस पत्थर पर चढ़ गए ... जो बच्चे बच निकले , उन्होंने गांव वालों को इसकी जानकारी दी ... नदी के किनारे पूरा गांव उमड़ पड़ा ... तीन घंटे बाद पुलिस भी पहुंच गई ... नदी की धार इतनी तेज थी कि इसमें उतरने की किसी की हिम्मत नहीं हुई... पुलिस के जवान भी तमाशबीन बने रहे... लहरों के बीच पत्थर पर बैठे बच्चे डरे सहमे है... एक की उम्र 8 साल है जबकि दूसरा बच्चा 9 साल का है... बच्चों के पिता गुहार लगा रहे हैं कि कोई उनके लाल को बचा लो... Sound

लहरों में मौत से जंग




इन बच्चों को बचाने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है ... बच्चों को बचाने के लिए लाइफ जैकेट ... ट्यूब और रस्सियों का प्रबंध भी हो गया ... लेकिन लहरों से लड़ने की हिम्मत किसी में नहीं है ... पुलिसवाले हार मान बैठे हैं ... आखिरकार गांव के दो लोगों ने हिम्मत जुटाई ... वो मौत की लहरों से सामना करने को तैयार हो गए ... (jhabua 10)… ये देखिए किस तरह लहरों को चीरकर आगे बढ़ रहे हैं ये दो जांबाज... आखिरकार ये बच्चों तक पहुंच गए... इन बच्चों को बाहर निकालने के लिए इस रस्सी का सहारा लिया जा रहा है... रस्सी के एक छोर को किनारे पर खड़े लोग पकड़े हुए हैं... दूसरा छोर इस पत्थर से बांधा गया है... लेकिन असली चुनौती तो अभी बाकी है ... अब दोनों शख्स ने एक- एक बच्चे को अपने पीछे बांध लिया है... अब देखिए लहरों के बीच जिंदगी और मौत के बीच जंग... नदी की धार इतनी तेज है कि इसमें एक कदम चलना मुमकिन नहीं है... इनकी कदम लड़खड़ाई नहीं कि ये मौत के मुंह में समा सकते हैं... sound… अरे ये क्या इनके कदम तो लड़खड़ाने लगे... रास्ते में एक पत्थर भी आ गया है... हाथ से रस्सी भी छूट गई है...soung ... अब क्या होगा... क्या ये लहरों में समा जाएंगे या फिर जिंदगी की जीत होगी... sound …

लहरों के बीच दो दबंग



उफनती लहरों के बीच जिंदगी और मौत के बीच जंग जारी थी... ये मौत के बेहद करीब थे... कभी भी लहरें इन्हें लील सकती थी.. लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी थी... देखिए एक बार फिर रस्सी इसके हाथ में है... एक बार फिर मौत को मात देने की कोशिश शुरू हो गयी... किनारे पर सैकड़ों लोग... मौत से मुकाबले की इस ख़ौफनाक तस्वीरों को सांस रोके देख रहे थे... बच्चों के परिवारवाले सहमे हुए थे... उपरवाले से यही दुआ कर रहे थे... कि किसी तरह उनके बच्चे किनारे तक पहुंच जाए... मौत के उस चंगुल से आज़ाद हो जाएं... जो उन्हें कभी भी निगल सकती है... sound … जैसे-जैसे वक्त बीत रहा था... लोगों की उम्मीद भी खत्म हो रही थी... लहरों के बीच हर कदम पर मौत दबोचने को तैयार थी... sound… लेकिन इस जांबाज़ ने भी ठान रखा था... कि वो हार नहीं मानेगा... पीठ पर बच्चा बंधा हुआ था... और ये शख्स लहरों से लड़ता हुआ आगे बढ़ रहा था... sound…. धीरे-धीरे लोगों को यकीन हो गया कि अब ज़िंदगी जीत जाएगी... मौत को मुंह खानी पड़ेगी... कोशिश रंग लाती दिखी... sound … आखिरकार दोनों जांबाज मौत को मात देकर बच्चों को किनारे तक ले आए... करीब 6 घंटे से ये जंग जारी थी... दोनों बच्चों को मौत के मुंह से बाहर निकालने में ये कामयाब हो गए... बच्चों के बाहर आते ही मां ने अपने बेटे को कलेजे से लगा लिया... जिला प्रशासन ने बच्चों की जान बचाने वाले दोनों युवकों को इनाम भी दिया।

बुधवार, 8 सितंबर 2010

दिल्ली की Psycho Daughter !



लाश के साथ डिनर !
लाश के साथ लंच !
मां के शव के साथ बेटी !
दिल्ली की Psycho Daughter !
एक बेटी ने पूरी दिल्ली को सकते में डाल दिया है। मां के शव के साथ एक बेटी लंच करती रही... डिनर करती रही... चाय-नाश्ता करती रही, लेकिन किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी। मामला दिल्ली के साकेत का है। 45 साल की शालिनी मेहरा लंबे समय से अपनी मां की लाश के साथ रह रही थी। वो मानने को तैयार नहीं थी कि 80 साल की उसकी मां मर चुकी है। वो अपनी मां से रोज बातें करती थी। उसे इस बात की परवाह नहीं थी कि उसकी मां उसकी बातों का जवाब नहीं दे रही है। वो हर बात से बेफिक्र थी... उसे सिर्फ इस बात की खुशी थी कि उसकी मां उसके साथ है... मां को मरे हुए कई हफ्ते हो चुके थे... लेकिन किसी को कानों कान इस बात की खबर तक नहीं हुई... लेकिन इस सनसनीखेज़ मामले का खुलासा तब हुआ जब... जब दिल्ली जल बोर्ड का एक कर्मचारी मीटर रीडिंग के लिए उसके घर पहुंचा... कई बार घंटी बजाने के बाद भी किसी ने घर का दरवाजा नहीं खोला... घर के भीतर से बदबू भी आ रही थी। जल बोर्ड के कर्मचारी ने पड़ोसियों को इसकी जानकारी दी और मामला पुलिस तक पहुंचा। पुलिस घर में घुसी तो वहां एक महिला की लाश कंकाल में तब्दील हो चुकी थी। घर का सारा सामान बिखरा पड़ा था.. महिला की लाश और घर की हालत देखकर सब सन्न रह गए.. पहले तो उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आया... पुलिस ने महिला से पूछताछ तो की.. लेकिन उससे भी ठीक ठीक जानकारी नहीं मिल पायी.. जांच में अभी यही पता चल पाया है कि शालिनी की मानसिक हालत ठीक नहीं है... फिलहाल पुलिस ने लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है।

बुधवार, 11 अगस्त 2010

पत्थर बांध नदी में फेंका





12 दिन का एक मासूम
लहरों से लड़ता रहा
मौत उसके करीब थी
तभी हुआ चमत्कार

VO- 1 … 12 दिन के इस मासूम को जिंदगी और मौत का मतलब भी पता नहीं है... लेकिन ये मौत से लड़ता रहा। कभी मौत इस पर हावी होती थी तो कभी ये मौत को मात देता था। गंगा की तेज धारा में इस इस मासूम की जिंदगी फंसी हुई थी। इसे पत्थर से बांधकर नदी में फेंक दिया गया था। लेकिन बीच धारा में पत्थर खुलकर नदी में डूब गया और ये नदी की धारा में बहने लगा। तभी ये नाविक इसके लिए भगवान बनकर आया और इस मासूम ने मौत को मात दे दी।
BYTE - लक्ष्मण साहनी - बच्चे को बचाने वाला

VO- 2 …
12 दिन के इस मासूम को किसी और ने नहीं, बल्कि इसके बाप ने ही पत्थर से बांधकर नदी में फेंक दिया था। जब बच्चे को नदी से बाहर निकाला गया तो सब यही पूछ रहे थे कि आखिर
Take gfx plate …
.... क्या थी बाप की मजबूरी ?
वो कैसे बन गया इतना बेरहम ?
बेटे को नदी में क्यों फेंका ? gfx plate out

दरअसल जिस दिन ये बच्चा पैदा हुआ था उस दिन ये बाप खुशी से फूले नहीं समा रहा था। लेकिन ये खुशी ज्यादा दिन तक नहीं रही। डॉक्टरों ने जैसे ही बताया कि बच्चे के दिल में छेद है, इसका दिल बैठ गया। अनिल के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो बेटे का इलाज करा सके। अपनी गरीबी को कोस रहे इस बाप ने अपना दिल पत्थर का बना लिया। ...और पत्थर दिल बाप ने एक ऐसा फैसला किया जो दुनिया का कोई बाप नहीं कर सकता है। इसने बेटे से छुटकारा पाने की सोची और पत्थर बांधकर उसे को नदी में फेंक दिया।
BYTE - अनिल पटेल (बच्चे का पिता)

VO- 3 … मजबूर बाप ने इसे मरने के लिए नदी में फेंक दिया लेकिन मासूम ने मौत को मात दे दी। जन्म देने वाला पिता अब सलाखों के पीछे है...लेकिन इसे पालनहार मिल गया है।

सोमवार, 9 अगस्त 2010

10 रुपये के नोट ने बचाई जान



उसकी जान खतरे में थी
वो अपने ही घर में कैद थी
उस पर ढाए जा रहे थे जुल्म
लेकिन ...
10 रुपये के नोट ­ने बचा ली जान

ये नोट है तो सिर्फ 10 रुपये का, लेकिन इसकी कीमत अनमोल है। 10 रुपए के इस नोट को गौर से देखिए ... ये नोट एक बहू का दर्द बयां कर रहा है... ये नोट हाथ जोड़कर कह रहा है कि कोई उस बहू को बचा ले, जो अपने ही घर में बंधक बनी है। इस नोट से एक बहू की चीख निकल रही है ... (For female voice with emotion मेरी ननद मुझे मारती है, मेरी मदद करें... आपसे हाथ जोड़कर निवेदन है कि पुलिस को बुला दीजिए )...
मध्यप्रदेश के जबलपुर में इस 10 रुपये के नोट का दम दिखा और एक बहू नर्क से निकल गई। दरअसल जिस पिया के घर जाने के लिए इसने बाबुल का घर छोड़ा था, वो पिया बेरहम निकला। कभी पति पीटता था, तो कभी देवर धिक्कारता था.. तीन ननदें भी खूब पीटती थी। ये बहू एक हफ्ते तक अपने ही घर में मार खाती रही। उसे लगने लगा कि उसका पति और ससुराल वाले उसे जान से मारने की योजना बना रहे हैं। अपनी जान को खतरे में देख इसने 10 रुपये के इस नोट पर भरोसा किया। इसने नोट पर अपनी आपबीती लिख कर खिड़की से बाहर फेंक दिया।
बाइट- पीड़ित बहू

VO-2 ... घर के बाहर आते ही नोट ने अपना दम दिखाया। इस नोट पर छपे एक बहू के दर्द को देखकर पड़ोसी पसीज गए। तुरंत पुलिस को खबर की गई और एक बहू की जान बच गई।
बाइट – पड़ोसी, पुलिस
VO-3 ... 10 रुपये के इस नोट ने एक बहू को नई जिंदगी दी। वक्त ने इस 10 रुपये के इस नोट को अनमोल बना दिया।

रविवार, 11 जुलाई 2010

कड़वी लौकी से मौत


वो डायबिटीज से लड़ रहे थे
जिंदा रहने के लिए जूस पी रहे थे
लेकिन ...
कड़वी लौकी ने ले ली जान
दिल्ली में CSIR के वैज्ञानिक सुशील सक्सेना और उनकी पत्नी पिछले 4 साल से लौकी और करेले का जूस पी रहे थे। सुशील सक्सेना 27 साल से डायबिटीज के पेशेंट थे और उनकी पत्नी को डायबिटीज का खतरा था। शुगर को कंट्रोल में रखने के लिए वैज्ञानिक दंपति ने 23 जून को भी हर रोज की तरह लौकी और करेले का जूस तैयार किया। चूंकि सुशील सक्सेना डायबिटीज से पीड़ित थे लिहाजा उन्होंने 250 ml जूस लिया जबकि उनकी पत्नी ने सिर्फ 150 ml जूस पिया। जूस पीते वक्त उन्हें कुछ अजीब सा लगा क्योंकि जूस बाकी दिनों की अपेक्षा कड़वा था। लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की। उन्हें नहीं पता था कि वो जूस की जगह मौत का घूंट पी रहे हैं। जूस पीने के तुरंत बाद वैज्ञानिक सुशील सक्सेना खून की उल्टियां करने लगे। उनकी पत्नी की भी हालत बिगड़ने लगी। वैज्ञानिक दंपति को रॉकलैंड अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन तब तक सुशील सक्सेना की तबीयत काफी बिगड़ गई थी। रॉकलैंड अस्पताल में सुशील सक्सेना की मौत हो गई। लेकिन डॉक्टरों ने उनकी पत्नी को बचा लिया। डॉक्टरों का कहना है कि कड़वी लौकी में टॉक्सिन होने की वजह से सुशील सक्सेना की मौत हुई।

मंगलवार, 29 जून 2010

लखनऊ में मौलाना की पिटाई


वो कल तक जिसे पूजती थीं
जिसे आंख मूंदकर मानती थीं
जब उसकी खुल गई पोल
सरेआम कर दी पिटाई
TAKE VISUAL WITH AMBIANCE – धर्म के ठेकेदार पिट रहे हैं। आज ये महिलाएं नहीं मानेंगी। ये सारा हिसाब बराबर करके रहेंगी। take ambiance इस मौलवी की पोल खुल गई है। यहां इसके गुनाहों का हिसाब हो रहा है। ambiance … कल तक ये महिलाएं इस मौलवी की बड़ी इज्जत करती थीं। हाथ जोड़कर इसकी सारी बातें बड़े ध्यान से सुनती थी। अब यही महिलाएं सरेआम मौलवी की धुनाई कर रहीं हैं।

ये नजारा है लखनऊ के एक मदरसे का। दरअसल कुछ दिन पहले इस मौलवी ने एक महिला को तलाक दिलवाया था। तलाक तो हो गया लेकिन जल्द ही लोगों को पता चल गया कि मौलवी के पास तलाक दिलवाने का अधिकार ही नहीं है।
बाइट - victim

महिला अपने आप को ठगी हुई महसूस करने लगी। कुछ महिलाएं मदरसा जा पहुंची जहां मौलाना रहता था। पहले तो महिलाओं ने गलत तलाक दिलवाने पर सफाई मांगी। लेकिन मौलाना साहब उल्टे इन महिलाओं को ही धमकाने लगे। फिर क्या था... अब तक गिड़गिड़ाने वाली महिलाओं का गुस्सा फूट पड़ा। महिलाओं ने मौलाना पर थप्पड़ों की बरसात कर दी। अचानक हमले से सकपकाए मौलाना साहब को भागने तक का मौका नहीं मिला। मदरसे में मौलाना को जो भी बचाने आया, उसे इन महिलाओं के गुस्से का शिकार होना पड़ा।

बाइट - मौलाना इशहाक़ रिज़वी

दरअसल इस मदरसे में जिस मौलाना के पास तलाक दिलाने का अधिकार था, उसकी कुछ दिनों पहले मौत हो गई थी। महिलाओं का आरोप है कि इस मौलाना ने बिना अधिकार के ही तलाक करवा दिया। मदरसे में मौजूद दूसरे मौलानाओं ने बीच-बचाव कर किसी तरह पिटने वाले मौलाना को वहां से निकाला।

बुधवार, 23 जून 2010

श्मशान में बेटी की शादी


कहते है शादी जिदंगी की सबसे खास रस्म होती है। जिसे हर इंसान खास तरीके से करना चाहता है। राजस्थान के बाड़मेर में भी कुछ अनोखे तरीके से रचाई गई शादी। बाड़मेर में एक जोड़े ने श्मशान में शादी रचाकर सबको हैरान कर दिया। ROLL PKG

VO-I
जहां जलती हैं चिताएं
चिताओं पर बिलखते हैं परिजन
जहां दुख के अलावा कुछ नहीं होता
वहां अचानक खुशियां छा गईं
आखिर श्मशान में ऐसा क्या हो गया ?

ये है राजस्थान के बाड़मेर का श्मशान घाट। श्मशान में हर रोज कई चिताएं जलती हैं। यहां आने वाले हर इंसान के चेहरे पर अपनों के जाने का गम होता है। लोग दहाड़ मार-मार कर रोते हैं। लेकिन श्मशान में चौकीदारी करने वाली लीला के लिए ये जिंदगी का हिस्सा है। उसके लिए ये एक पवित्र स्थान की तरह है, जहां से उसे और उसके परिवार को दो जून की रोटी नसीब होती है। लीला के लिए तो श्मशान ही उसका घर आंगन है। लीला श्मशान को इतना पवित्र मानतीं है कि उसने अपनी बेटी की शादी यहीं कराने का फैसला किया।

बाइट – लीला (दुल्हन कौशल्या की मां)

VO- 2 … लीला के श्मशान में शादी कराने के प्रस्ताव पर लड़के वालों को भी कोई आपत्ति नहीं हुई। फिर क्या था शादी की तैयारी शुरू हो गई। श्मशान में चिताओं की जगह शादी की बेदी जलाने की तैयारी होने लगी।

next pkg
श्मशान में शादी का फैसला तो कर लिया गया, लेकिन इसके लिए क्या क्या तैयारियां की गई। ROLL PKG

VO- 1 ….
लड़की के हाथों में मेहंदी रची गई। घर में ढोल बजने लगे। कौशल्या के चेहरे पर खुशी तैर रही थी। कौशल्या अपने आंगन यानि कि श्मशान में शादी जो रचाने वाली थी। श्मशान में चिताएं तो अब भी जल रही थीं, लेकिन शादी की चहल-पहल भी बढ़ गई थी। लोग शादी की तैयारियों में जुटे थे। श्मशान में होने वाली इस अनोखी शादी में हिस्सा लेने के लिए लोगों को कुछ इस अंदाज में आमंत्रित भी किया गया। TAKE AMBIANCE- ANNOUNCEMENT –

VO- 2 … 7 फेरे लेने से पहले श्मशान में एक धार्मिक अनुष्ठान भी करवाया गया ताकि शादी में कोई विघ्न न पड़े। स्थानीय श्मशान विकास समिति ने शादी का सारा खर्चा उठाने का फैसला किया।

बाइट – सुरेश मोदी (आयोजन समिति)

VO- 2 …. आखिर वो घड़ी भी आ गई जब दूल्हे राजा घोड़े पर सवार होकर श्मशान में शादी रचाने चल पड़े। श्मशान में मजमा लग गया। कुछ के चेहरे पर खुशी थी तो कुछ उत्सुकता से इस अनोखी शादी को देखने पहुंचे थे।

next pkg
ANCHOR - आखिर वो घड़ी भी आ गई जब कौशल्या और रेवंत ने श्मशान में 7 फेरे लिए। ROLL PKG

VO-I …
तैयारी हो गई पूरी
श्मशान में चिता नहीं...
शादी का मंडप सजा

श्मशान में पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर शादी की रस्में शुरू हुईं। श्मशान में बने शादी के मंडप में सारी रस्में निभाई गई। दूल्हे रेवंत ने अग्नि के साथ साथ हजारों अदृश्य आत्माओं को साक्षी मानकर कौशल्या के साथ सात फेरे लिए और सात जन्मों तक साथ निबाने की कसमें खाई। (सात फेरे वाले VISUAL के साथ बढ़िया गाना लगाकर लंबा खींचे।)

बाइट – कौशल्या (दुल्हन), रेवंत (दूल्हा)

VO- 2 … कौशल्या और रेवंत खुश हैं कि उन्हें सैकड़ों लोगों के साथ साथ आत्माओं का भी आशीर्वाद मिला। इस अनोखी शादी से श्मशान में कुछ घंटों के लिए ही सही खुशियां फैल गई।

सोमवार, 14 जून 2010

चिदंबरम-ममता के सुर अलग-अलग


इस घटना पर गृह मंत्रालय और रेल मंत्रालय में तालमेल की कमी दिख रही है। दोनों मंत्रालयों के सुर ताल अलग अलग हैं। क्या है पूरा मामला आइये देखते हैं। ROLL PKG

केन्द्र सरकार के दो मंत्रालय
दोनों में तालमेल नहीं
घटना एक, बयान अलग-अलग
VO-1
आतंकियों और नक्सलियों के लिए आम आदमी हमेशा से सॉफ्ट टारगेट रहा है। इस बार भी ऐसा ही हुआ। मिदनापुर में नक्सलियों ने ट्रेन को निशाना बनाया। लेकिन घटना पर केन्द्र सरकार के दो मंत्रालय अलग-अलग सुर अलापते नजर आए। रेलमंत्रालय का कहना है कि रेलवे ट्रैक पर ब्लास्ट हुआ जिसके बाद ट्रेन पटरी से उतर गई। वहीं गृहमंत्रालय का कहना है कि फिश प्लेट हटाने से हादसा हुआ है। आपको सबसे पहले ममता बनर्जी का बयान सुनवाते हैं जिसमें वो कह रही हैं कि ट्रैक पर ब्लास्ट हुआ था।
बाइट- ममता बनर्जी (ब्लास्ट के बारे में)
VO- 2 -- दुर्घटनास्थल पर जिलेटिन की छड़ें और टीएनटी विस्फोटक मिले हैं। लेकिन गृहमंत्री पी चिदंबरम का कहना है कि विस्फोटक के इस्तेमाल की पुष्टि नहीं हुई है।
बाइट – चिदंबरम (QUOTE ग्राफिक्स)
VO-3 – केन्द्र सरकार के दो मंत्रालयों के अलग-अलग बयान के मायने समझ से परे हैं। लेकिन पूरे तथ्यों पर नजर डालें तो एक बात साफ है कि नक्सिलयों ने योजनाबद्ध तरीके से साजिश को अंजाम दिया।(28-05-2010)

ममता बनर्जी का मरहम

एक महीने के अंदर ये दूसरी घटना है जब नक्सलियों ने आम लोगों को निशाना बनाया। साथ ही ममता बनर्जी ने मुआवजे का मरहम लगाया है। ROLL PKG

VO- 1 --- एक महीने के अंदर ये दूसरी घटना है जब नक्सलियों ने आम लोगों को निशाना बनाया है। इससे पहले 17 मई को दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने एक यात्री बस को उड़ा दिया था। और अब नक्सलियों ने मिदनापुर में रेलवे ट्रैक पर फिश प्लेट हटा दिया, जिससे मुंबई जा रही ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई। रेल मंत्री ममता बनर्जी ने भी माना इसके पीछे नक्सलियों का हाथ है।

बाइट – ममता बनर्जी (नक्सली हमला से संबंधित बाइट)

VO- 2 -- कुछ दिनों पहले IB ने भी चेतावनी दी कि नक्सली इलाकों में ट्रेनों पर हमले हो सकते हैं। इसके बावजूद ट्रेनों की सुरक्षा को लेकर कोई कदम नहीं उठाए गए। लेकिन हादसे के बाद ममता बनर्जी ने मुआवजे का मरहम जरूर लगा दिया।
बाइट - ममता बनर्जी (मुआवजे पर बाइट)
VO- 3 -- इस ब्लास्ट में कई औरतें विधवा हो गईं तो कई बच्चों के सिर से बाप का साया उठ गया। भले ही ममता बनर्जी ने मुआवजे का मरहम लगा दिया हो लेकिन ये उन जख्मों को कभी नहीं भर सकता।

ज्ञानेश्वरी एक्स. पर हमला


रात डेढ़ बजे का वक्त
ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस पूरी रफ्तार में थी
नींद की आगोश में थे ट्रेन के यात्री
लेकिन तभी हुई जोरदार टक्कर
और मच गई अफरातफरी
VO- रात के 10.55 पर कुर्ला- ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस हावड़ा से मुंबई के लिए रवाना हुई। ट्रेन धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही थी। ट्रेन के यात्री सो चुके थे। ढाई घंटे बाद यानि रात के करीब डेढ़ बजे ट्रेन पश्चिमी मिदनापुर से गुजर रही थी। ट्रेन मिदनापुर के खेमासोली और सरदिया के बीच थी, तभी एक जोरदार आवाज हुई। देखते ही देखते तेज रफ्तार ट्रेन की 13 बोगियां पटरी से उतर गई। ट्रेन की 3 बोगियां बगल की पटरी पर चली गई। ठीक उसी वक्त बगल की पटरी पर आ रही मालगाड़ी से तीनों बोगियों की जबरदस्त टक्कर हुई। ट्रेन के अंदर यात्रियों में खलबली मच गई। यात्री इधर-उधर भागने लगे। किसी की कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अचानक ये क्या हो गया। गृह सचिव का कहना है कि फिश प्लेट हटाने की वजह से तेज रफ्तार ट्रेन पटरी से उतर गई और मालगाड़ी से टकरा गई।
(28-05-2010)

मैंगलोर विमान हादसा


सुबह सुबह आई मौत
एयरपोर्ट पर हुआ हादसा
रनवे पर फिसला विमान
मैंगलोर के बाजपे एयरपोर्ट पर लोग अपने अपने परिजनों का इंतजार कर रहे थे। एयर इंडिया का विमान IX 812 बाजपे एयरपोर्ट पर लैंड करने ही वाला था। सुबह सवा छह बजे विमान की लैंडिंग भी हुई लेकिन इसके बाद जो हुआ उसने सबको दहला कर रख दिया। रनवे पर लैंड करते ही विमान फिसल गया। विमान फिसलकर रनवे के पास की खाई में गिर गया। एयर इंडिया का विमान धू-धू कर जलने लगा। दुबई से मैंगलोर की इस फ्लाइट में 160 यात्री और 6 क्रू मेंबर सवार थे। हादसे के तुरंत बाद स्थानीय लोग घटनास्थल की तरफ दौड़ पड़े। एयरपोर्ट पर अफतारतफरी मच गई। आनन-फानन में दमकल की कई गाड़ियां भी मौके पर पहुंच गई। हादसे के तुरंत बाद बाजपे एयरपोर्ट को बंद कर दिया गया। वहीं डीजीसीए ने दुर्घटना के जांच के आदेश दे दिए हैं। हादसे की वजह का अब तक खुलासा नहीं हो पाया है। (22 मई 2010)

मौत को मात


वो 104 लोगों के साथ हवा में था
अचानक कयामत आई
103 लोग मौत के मुंह में समा गए
लेकिन वो बाल-बाल बच गया
VO-1-- देखते ही देखते यहां पर 103 लोगों की कब्र बन गई। सबकुछ तबाह हो गया, लेकिन यहीं हुआ सबसे बड़ा चमत्कार। ICU में भर्ती इस बच्चे को देखिए। ये दुनिया का सबसे बड़ा लकी ब्यॉय है। दरअसल दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग से अफ्रीकिया एयरवेज का ये विमान लीबिया आ रहा था। लीबिया के त्रिपोली हवाई अड्डे पर इसकी लैंडिंग होनी थी। विमान में 93 यात्री और 11 क्रू मेंबर थे। लैंडिंग से ठीक पहले विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसे में 92 यात्रियों और सभी क्रू मेंबर की मौत हो गई। लेकिन मलबे में 10 साल का एक बच्चा बेहोश पड़ा था।

बाइट – डॉक्टरों की टीम बेहतर तरीके से इसकी देखभाल में लगी है।

VO-2--- हॉलैंड के स्कूलों में छुट्टियों के वक्त ज्यादातर लोग दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग जाना पसंद करते हैं। हॉलैंड के 62 यात्री छुट्टियां बिताकर लीबिया के रास्ते वापस लौट रहे थे। इस हादसे में हॉलैंड के 61 यात्रियों की मौत हो गई। हादसे में एक मात्र जिंदा बचा लड़का हालैंड का ही है। हालांकि अभी इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

बाइट- हॉलैंड के विदेश मंत्री – मैक्सिम

VO-3 --- आईसीयू में भर्ती बच्चे को जब होश आया तो एक लीबिया डॉक्टर ने पूछा कि तुम किस देश के हो... बच्चे ने कराहते हुए कहा हॉलैंड, हॉलैंड। डॉक्टरों का कहना है कि अब ये बच्चा खतरे से पूरी तरह बाहर है।

कैसे गिरफ्तार हुई गद्दार?


माधुरी गुप्ता ने कई बार अहम खुफिया दस्तावेजों तक पहुंचने की कोशिश की थी। इसकी हरकतों की वजह से उच्चायोग के अधिकारियों को इस पर पहले ही शक हो गया था। माधुरी गुप्ता पर कड़ी नजर रखी जा रही थी। इस बात का खास ख्याल रखा जाता था कि वो इस्लामाबाद से दिल्ली किसके साथ आती है और वापस इस्लामाबाद किसके साथ जाती है। आईबी, रॉ और स्पेशल सेल माधुरी गुप्ता के खिलाफ पुख्ता जानकारिया हासिल करने में लगी थी। आखिरकार पुख्ता सबूत मिलने के बाद माधुरी गुप्ता को गिरफ्तार करने की योजना बनाई गई। माधुरी गुप्ता को गिरफ्तारी का शक न हो इसके लिए उसे सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेने के बहाने दिल्ली बुलाया गया। माधुरी गुप्ता को ऑफिशियल सीक्रेसी एक्ट के तहत दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया।
byte...vishnu prakash...spokesperson mea

खुफिया विभाग माधुरी गुप्ता से ये जानने की कोशिश कर रहा है कि जासूसी में उसके साथ और कौन कौन शामिल थे। माधुरी गुप्ता के पास दो फोन नंबर थे एक भारत का और एक पाकिस्तान का... अब माधुरी के फोन काल्स की जांच की जा रही है। इस्लामाबाद से माधुरी गुप्ता के कंप्यूटर को भारत लाया गया है। कंप्यूटर के साथ-साथ पिछले दो साल के ई-मेल के डिटेल्स की जांच की जा रही है।

सीनियर्स से नाराजगी में बनी गद्दार?

माधुरी गुप्ता को प्रमोट कर IFS अधिकारी बनाया गया था। लेकिन माधुरी गुप्ता को जो काम दिया गया था उससे वो खुश नहीं थी। उसे लगता था कि अब वो आगे नहीं बढ़ पाएंगी। बताया जा रहा है कि वो आगे बढ़ने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार थी। इससे पहले वो मलयेशिया समेत कई देशों में काम कर चुकी हैं। माधुरी गुप्ता दिल्ली में इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स में काम करती थी। इस दौरान भी वो अपने जॉब से खुश नहीं थी और पाकिस्तान जाने की जुगत में लगी रहती थी। 54 साल की माधुरी गुप्ता की उर्दू की बढ़िया जानकारी के चलते पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग में तैनात कर दिया गया। माधुरी गुप्ता भारतीय उच्चायोग के प्रेस और सूचना विभाग में काम करती थी। माधुरी गुप्ता अविवाहित थी औऱ अपनी जिंदगी को लेकर काफी निराश थी। वो तन्हा रहती थी। उसे अपने सुख दुख बांटने के लिए एक अदद साथी की तलाश थी। माधुरी गुप्ता अपनी तन्हाई को दूर करने के लिए गद्दार बन गई। बताया जा रहा है कि दुश्मन देश के जासूस से उसकी नजदीकियां बढ़ने लगी। वो भूल गई कि वो जो करने जा रही है वो सबसे बड़ा गुनाह है।

देश की गद्दार है माधुरी

एक महिला IFS अफसर
जो अपने देश से करती थी गद्दारी
दुश्मन देश के जासूस से प्यार
ISI को लीक करती थी सूचनाएं
एक गद्दार का कबूलनामा
घर के इस भेदिए ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है। IFS अधिकारी माधुरी गुप्ता ने पूछताछ में कई अहम खुलासे किए हैं। इसने जांच अधिकारियों को बताया कि एक पाकिस्तानी पत्रकार ने इसे ISI एजेंट से मिलवाया था। राणा नाम के ISI एजेंट से ये कई बार मिली। इस दौरान ISI एजेंट राणा से इसकी नजदीकियां बढ़ने लगी। बताया जाता है कि माधुरी और राणा की नजदीकियां प्यार में बदल गई। ISI एजेंट राणा को भारतीय खुफिया जानकारी हासिल करने का बढ़िया मौका हाथ लग गया। माधुरी गुप्ता भारत की खुफिया जानकारियां पाकिस्तानी जासूस राणा को देने लगी। इस गद्दार ने जांच अधिकारियों के सामने थोथी दलील देने की भी कोशिश की। माधुरी गुप्ता ने बताया कि वो पैसों के लिए सूचनाएं लीक नहीं करती थी... सिर्फ जान पहचान बढ़ाने और मधुर संबंध बनाए रखने के लिए ऐसा करती थी। माधुरी गुप्ता ने एक और अहम खुलासा किया है... उसने बताया कि रॉ के एक अधिकारी से वो अहम सूचनाएं इकट्ठा कर ISI एजेंट को देती थी। अब रॉ का एक अधिकारी भी शक के घेरे में आ गया है। रॉ के अधिकारी को इस्लामाबाद से दिल्ली बुलाया गया है।

दिल्ली में धूल ही धूल

दिल्ली में धूल भरी आंधी
हवा में धूल ही धूल है
यहां सांस लेना भी मुश्किल है
दिल्ली में धूल से बचके

पिछले दो दिनों से दिल्लीवासियों को गर्मी से तो राहत मिल गई है लेकिन एक नई मुसीबत शुरू हो गई है। दिल्ली में धूल भरी आंधी चल रही है। दिल्ली वालों का घऱ से निकलते ही धूल भरी हवा से सामना हो रहा है। इस हवा में सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। धूल भरी आंधी मुसीबत बनती जा रही है। जहां तक नजर जा रही है धूल ही धूल है। काम पर जाना है तो घर से निकलना ही होगा। लोग मुंह और नाक पर रूमाल रखकर घरों से निकल रहे हैं। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर ज्यादा होने की वजह से धूल कण जमीन के काफी करीब तक जमा हो रहे हैं। धूल भरी आंधी की वजह से सूरज की किरणों का तीखापन थोड़ा कम हुआ है लेकिन उमस से लोग परेशान हैं। आसमान में धूल का गुबार छा गया है जिससे सांस की बीमारी का खतरा भी बढ़ गया है।

जंगल की मां का प्यार

एक मां ये मानने को तैयार नहीं है कि उसका लाडला अब इस दुनिया में नहीं रहा। वो बार बार अपने लाडले को देखती है... उसे निहारती है... इस मां को लग रहा है कि अभी उसका बच्चा उठ बैठेगा और अठखेलियां करेगा। TAKE AMBIANCE WITH MUSIC

तीन दिन पहले छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के सामारुमा जंगल में गर्मी की वजह से हाथी के इस बच्चे की मौत हो गई। मौत के बाद से हथिनी अपने बच्चे लेकर घूम रही है। वनकर्मी हाथी के बच्चे के शव का पोस्टमॉर्टम कराना चाहते हैं लेकिन वो सफल नहीं हो पा रहे हैं।

बाइट -
ये मां अपने बच्चे के शव के पास किसी को फटकने नहीं दे रही हैं। ये जंगल में जहां भी जाती हैं अपने बच्चे के शव को साथ ले जाती हैं। वनकर्मी भी इनके पीछे पीछे चलने को मजबूर हैं।

मुंबई में झमाझम बारिश

अब प्यासी नहीं रहेगी मुंबई
झील के सूखने से पहले
मुंबई में होगी झमाझम बारिश

VO- 1 …
पानी को लेकर मुंबई के हालात बद से बदतर होते जा रहे थे। मुंबई के झीलों में सिर्फ 15 जून तक का ही पानी बचा है। लेकिन अब चिंता की कोई बात नहीं है। मानसून केरल पहुंच चुका है और हफ्ते भर के अंदर इसके मुंबई पहुंचने की संभावना है। फिर मुंबई में होगी झमाझम बारिश

बाइट – श्रद्धा जाधव, मेयर

VO-2 … इससे पहले हालात इतने खराब थे कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी चिंतित थे।

बाइट- अशोक चव्हाण, मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र

VO-3 … मुंबई में काफी समय से पानी की बेहद कमी बनी हुई है। यहां पर जिस पाइपलाइन का इस्तेमाल पानी की सप्लाई के लिए किया जाता है वो 100 साल पुरानी है। लेकिन इसमें होनेवाला लीकेज और चोरी की वजह से लाखों लीटर पानी का नुकसान होता है। अब मुंबई में झमाझम बारिश होने वाली है ऐसे में पानी सहेजने के लिए बीएमसी को काफी जतन करने होंगे।

कैसे भागा एंडरसन?

कैमरे में कैद हुआ
भोपाल का सबसे बड़ा गुनहगार
1984 का वो EXCLUSIVE वीडियो
जिसमें भागता दिख रहा है एंडरसन
इस कार को जरा गौर से देखिए .... इस एंबेसडर कार में भोपाल गैस त्रासदी का सबसे बड़ा गुनहगार सवार है। जी हां यूनियन कार्बाइड का चेयरमैन वॉरेन एंडरसन इस कार में सवार है। वॉरेन एंडरसन को इस एंबेसडर कार से भगाया जा रहा है। लाइव इंडिया ने 7 दिसंबर 1984 को भाग रहे एंडरसन का वीडियों ढूंढ निकाला है। कैमरे में कैद हुई ये तस्वीर 7 दिसंबर 1984 की है। 2 और 3 दिसंबर 1984 को 20 हजार लोगों की मौत के बाद 7 दिसंबर को एंडरसन को गिरफ्तार किया गया था। और फिर एंडरसन को चीफ सेक्रेटरी के कहने पर भोपाल से निकलने का पूरा प्रबंध किया गया। एंडरसन भारत से रफूचक्कर तो हो गया लेकिन इस कैमरे ने एंडरसन को भगाने वालों की पोल खोलकर रख दी है। एक बार फिर से देखिए इस एंबेसडर कार की पिछली सीट पर भोपाल का सबसे बड़ा गुनहगार एंडरसन बैठा है। आप देख सकते हैं इस कार पर लाल बत्ती लगी है। यानी साफ है कि ये सरकारी कार है। लाइव इंडिया के हाथ लगे इस वीडियो को देखकर ये और भी पुख्ता हो गया है कि एंडरसन को भगाने में सरकारी तंत्र लिप्त था। इसी कार में बैठकर एंडरसन पहले एयरपोर्ट से यूनियन कार्बाइड के गेस्ट हाउस पहुंचा। गेस्ट हाउस में सरकारी अफसरों ने जमकर इसकी आवभगत की। और फिर मुख्य सचिव के आदेश पर एंडरसन को इस कार में बिठाकर भगाया गया। एंडरसन को इसी कार से एयरपोर्ट पहुंचाया गया। इसके बाद एंडरसन को विशेष विमान से दिल्ली भेज दिया गया जहां से वो अमेरिका भाग गया।

लंगूर को मिली नौकरी

एक लंगूर को मिली नौकरी
नाम- मंगल
पगार- 10 हजार रुपए प्रति महीना
काम – पहरेदारी
VO-1-- पेड़ पर चढ़ता, मस्ती करता मंगल कोई मामूली लंगूर नहीं है। ये राज्य कर्मचारी बीमा निगम में नौकरी करता है। नौकरी भी पूरे 10 हजार रुपए प्रति महीना की। ये अपनी ड्यूटी में कोई कोताही नहीं बरतता। ये कामचोरी नहीं करता बल्कि पूरे लगन से अपने काम को अंजाम देता है। इसका काम कानपुर के राज्य कर्मचारी बीमा निगम के दफ्तर से लाल मुंह वाले बंदरों को खदेड़ना है।
BYTE – पी. सी.शर्मा (उप निदेशक_कर्मचारी राज्य बीमा निगम)

VO-2 --- इससे पहले यहां लाल मुंह वाले बंदरों का आतंक था। बंदर राज्य कर्मचारी बीमा निगम के दफ्तर में महत्वपूर्ण फाइलों को फाड़ देता था। विभाग के अधिकारियों की कॉलोनी में भी बंदर भी खूब उत्पात मचाते थे। लेकिन सौ- सौ बंदरों से मंगल ने अकेले ही लोहा लिया और सबको खदेड़ दिया। मंगल अब कानपुर के सर्वोदय नगर में अपनी धाक जमा चुका है। मंगल अभी भी अपनी ड्यूटी पर तैनात है। इसकी देखभाल के लिए एक गार्ड को भी तैनात किया गया है।
बाईट--शिव बहादुर यादव (गार्ड)

VO-3 --- मंगल के आने से अब दफ्तर के अधिकारियों के साथ साथ मोहल्लावालों ने भी चैन की सांस ली है।
BYTE - विजय लक्ष्मी (कालोनी निवाशी)

मंगल सबका मंगल कर रहा है। वो अपने मालिक के लिए पैसा भी कमा रहा है और इस दफ्तर की रखवाली भी कर रहा है।

लॉटरी में मिली मां-2

आ गई वो घड़ी
जब लग गई लॉटरी
वरदान को लॉटरी में मिली मां
और एक मां को मिल गया वरदान
सबकी सांसे थमी हुई थी। वरदान को पाने के लिए लॉटरी की प्रक्रिया शुरू हुई। लेकिन इससे पहले 67 मां-बाप में सिर्फ चार दंपत्ति को ही वरदान के योग्य पाया गया। अब इन चारों दंपत्तियों में से किसी एक की लॉटरी लगनी थी। चारों दंपत्ति के नाम की एक-एक पर्ची तैयार की गई। फिर चारों पर्ची को एक टेबल पर रखकर मिक्स कर दिया गया। सभी दंपत्ति मन ही मन भगवान से वरदान पाने की प्रार्थना कर रहे थे। जिलाधिकारी ने टेबल पर से एक पर्ची उठाई और तलवार दंपत्ति को मिल गया वरदान।

बाइट – आलोक कुमार, जिलाधिकारी, सहारनपुर

वीओ- 2 - लॉटरी के जरिए वरदान को माता-पिता मिल गए। 10 साल से अपने आंगने में बच्चे को तरस रहे तलवार दंपत्ति की मुरादें पूरी हो गई। संदीप और ऋतु की खुशी का ठिकाना नहीं था।
बाइट- संदीप --- ऋतु

वीओ- 3 -- अब संदीप और ऋतु के सूने आंगन में वरदान की किलकारी गूंजेगी। वहीं 4 महीने से इस मासूम की देखभाल कर रहे लोग वरदान के दूर जाने से दुखी हैं।

बाइट - अंजु रानी, अध्यक्ष, ऑल इंडिया वूमन कॉन्फ्रेंस

वीओ- 4 – अब तक मां की ममता से महरूम वरदान को न सिर्फ माता-पिता मिल गए बल्कि वो पूरे सहारनपुर का लाडला भी बन गया।

लॉटरी में मिली मां

67 मां बाप
एक बेटा
सबको चाहिए यही बेटा
किसको मिलेगा वरदान ?
किसकी आंचल में गूंजेगी किलकारी?
आज वरदान के लिए सबसे बड़ा दिन है। वरदान को आज मां मिलने वाली है। अब वरदान लावारिस नहीं रहेगा। अब वरदान अपनी मां के आंचल में किलकारी भरेगा। वो पिता की उंगलियां पकड़कर चलना सीखेगा। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि वरदान की मां कौन होगी... वरदान का पापा कौन होगा। वरदान तो एक ही है लेकिन वरदान पाने की होड़ में 67 मां-बाप लाइन में लगे। सब अपने आंगने में वरदान की किलकारी सुनना चाहते हैं। सबके चेहरे पर वरदान को पाने की लालसा है। लेकिन फिर वही सवाल कि वरदान किसका होगा। किस मां-पिता को मिलेगा वरदान। दरअसल सहारनपुर में 12 फरवरी को वरदाना लावारिस हालत में सड़क किनारे पड़ा मिला था। कहा ये जा रहा है लोक लाज के डर से एक कुंवारी मां ने जन्म देने के बाद वरदान को सड़क किनारे छोड़ दिया था। पुलिस ने इसे अस्पताल पहुंचाया और तभी से ऑल इंडिया वुमेन कॉन्फ्रेंस इसकी देखभाल कर रहा था। वरदान की अच्छी परवरिश हो इसके लिए माता-पिता की खोज शुरू हुई। सैकड़ों लोगों ने वरदान को गोद लेने की इच्छा भी जताई। लेकिन प्रशासन इतने भर से संतुष्ट नहीं था। अच्छे माता के लिए 67 लोगों का आवेदन स्वीकार किया गया। सभी 67 दंपत्ति वरदान को गोद लेने के लिए सहारनपुर के जिलाधिकारी सभागार पहुंचे। सबकी चाहत थी कि उसे ही वरदान मिले। प्रशासन भी हैरान था कि वरदान किसे दें। आखिरकार ये फैसला हुआ कि वरदान के लिए लॉटरी निकाली जाएगी। जिसका नाम लॉटरी में आएगा वहीं उसे ही वरदान मिलेगा। वरदान को मां मिले इसके लिए हुई लॉटरी की प्रक्रिया।