बुधवार, 11 अगस्त 2010

पत्थर बांध नदी में फेंका





12 दिन का एक मासूम
लहरों से लड़ता रहा
मौत उसके करीब थी
तभी हुआ चमत्कार

VO- 1 … 12 दिन के इस मासूम को जिंदगी और मौत का मतलब भी पता नहीं है... लेकिन ये मौत से लड़ता रहा। कभी मौत इस पर हावी होती थी तो कभी ये मौत को मात देता था। गंगा की तेज धारा में इस इस मासूम की जिंदगी फंसी हुई थी। इसे पत्थर से बांधकर नदी में फेंक दिया गया था। लेकिन बीच धारा में पत्थर खुलकर नदी में डूब गया और ये नदी की धारा में बहने लगा। तभी ये नाविक इसके लिए भगवान बनकर आया और इस मासूम ने मौत को मात दे दी।
BYTE - लक्ष्मण साहनी - बच्चे को बचाने वाला

VO- 2 …
12 दिन के इस मासूम को किसी और ने नहीं, बल्कि इसके बाप ने ही पत्थर से बांधकर नदी में फेंक दिया था। जब बच्चे को नदी से बाहर निकाला गया तो सब यही पूछ रहे थे कि आखिर
Take gfx plate …
.... क्या थी बाप की मजबूरी ?
वो कैसे बन गया इतना बेरहम ?
बेटे को नदी में क्यों फेंका ? gfx plate out

दरअसल जिस दिन ये बच्चा पैदा हुआ था उस दिन ये बाप खुशी से फूले नहीं समा रहा था। लेकिन ये खुशी ज्यादा दिन तक नहीं रही। डॉक्टरों ने जैसे ही बताया कि बच्चे के दिल में छेद है, इसका दिल बैठ गया। अनिल के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो बेटे का इलाज करा सके। अपनी गरीबी को कोस रहे इस बाप ने अपना दिल पत्थर का बना लिया। ...और पत्थर दिल बाप ने एक ऐसा फैसला किया जो दुनिया का कोई बाप नहीं कर सकता है। इसने बेटे से छुटकारा पाने की सोची और पत्थर बांधकर उसे को नदी में फेंक दिया।
BYTE - अनिल पटेल (बच्चे का पिता)

VO- 3 … मजबूर बाप ने इसे मरने के लिए नदी में फेंक दिया लेकिन मासूम ने मौत को मात दे दी। जन्म देने वाला पिता अब सलाखों के पीछे है...लेकिन इसे पालनहार मिल गया है।

सोमवार, 9 अगस्त 2010

10 रुपये के नोट ने बचाई जान



उसकी जान खतरे में थी
वो अपने ही घर में कैद थी
उस पर ढाए जा रहे थे जुल्म
लेकिन ...
10 रुपये के नोट ­ने बचा ली जान

ये नोट है तो सिर्फ 10 रुपये का, लेकिन इसकी कीमत अनमोल है। 10 रुपए के इस नोट को गौर से देखिए ... ये नोट एक बहू का दर्द बयां कर रहा है... ये नोट हाथ जोड़कर कह रहा है कि कोई उस बहू को बचा ले, जो अपने ही घर में बंधक बनी है। इस नोट से एक बहू की चीख निकल रही है ... (For female voice with emotion मेरी ननद मुझे मारती है, मेरी मदद करें... आपसे हाथ जोड़कर निवेदन है कि पुलिस को बुला दीजिए )...
मध्यप्रदेश के जबलपुर में इस 10 रुपये के नोट का दम दिखा और एक बहू नर्क से निकल गई। दरअसल जिस पिया के घर जाने के लिए इसने बाबुल का घर छोड़ा था, वो पिया बेरहम निकला। कभी पति पीटता था, तो कभी देवर धिक्कारता था.. तीन ननदें भी खूब पीटती थी। ये बहू एक हफ्ते तक अपने ही घर में मार खाती रही। उसे लगने लगा कि उसका पति और ससुराल वाले उसे जान से मारने की योजना बना रहे हैं। अपनी जान को खतरे में देख इसने 10 रुपये के इस नोट पर भरोसा किया। इसने नोट पर अपनी आपबीती लिख कर खिड़की से बाहर फेंक दिया।
बाइट- पीड़ित बहू

VO-2 ... घर के बाहर आते ही नोट ने अपना दम दिखाया। इस नोट पर छपे एक बहू के दर्द को देखकर पड़ोसी पसीज गए। तुरंत पुलिस को खबर की गई और एक बहू की जान बच गई।
बाइट – पड़ोसी, पुलिस
VO-3 ... 10 रुपये के इस नोट ने एक बहू को नई जिंदगी दी। वक्त ने इस 10 रुपये के इस नोट को अनमोल बना दिया।